बारहमासो

पर्वतों की छाँव में झरनों के गाँव में किरणों की डोर ढलती साँझ को है माप रही पर्वत की ओट कहीं नीमा अलाप्रही बारहमासो मोरी छैला बेड्यू पाको मोरी छैला   फूल्या बुरांस चैत महक उठी फ्यूलड़ी पिऊ-पिऊ पुकारती बिरहन म्यूलड़ी सूनी-सूनी आँखों से राहों को ताक रही पर्वत की ओट कहीं नीमा अलाप्रही बारहमासो … Continue reading बारहमासो